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नाहन क्षेत्र में बढ़ते आत्महत्या के मामलों के मद्देनज़र श्री साई मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल एवं ट्रॉमा सेंटर, नाहन में शुरू किया गया मनोचिकित्सा विभाग। जिसमें लोगों के मानसिक तनाव जैसे डिप्रेशन , तनाव और बच्चों में मोबाइल की आदत छुड़ाने जैसी समस्याओं को काउंसलिंग के माध्यम से ठीक किया जायेगा।

Ms. Mythili Shekhar, Clinical Psychiatrist
अस्पताल के मनोचिकित्सा विभाग में बतौर मनोविज्ञानिक मैथिली शेखर अपनी सेवाएं दे रही है। मैथिली शेखर पिछले आठ वर्षों से देश- विदेश में डिप्रेशन और तनाव से परेशान लोगों की काउंसलिंग कर मानसिक स्वास्थ्य को ठीक करने में सहायता कर रही है।
श्री साई ग्रुप ऑफ़ हॉस्प्टिल्स के निदेशक डॉ दिनेश बेदी ने जानकारी देते हुए बताया की नाहन व आस पास के क्षेत्रो में बढ़ते आत्महत्या के मामले चिंता का विषय बन रहा है। आज कल की जीवन शैली , एकल परिवार , हर क्षेत्र में प्रत्योगिता की भावना से हर व्यक्ति किसी न किसी रूप से परेशान है। जिसके कारण लोग डिप्रेशन के शिकार हो रहे है और डिप्रेशन से जूझते जूझते व्यक्ति आत्महत्या जैसा गलत निर्णय ले लेते है। इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए हमने श्री साई अस्पताल में मनोचिकित्सा विभाग की शुरुआत की है। जिसमें मैथिली शेखर बतौर मनोविज्ञानिक अपनी सेवाएं दे रही हैं।

मैथिली शेखर पिछले आठ वर्षों से विभिन्न अस्पतालों व स्वास्थ्य विभाग के कार्यक्रमों के माध्यमों से हज़ारों स्कूल विद्यार्थिओं, डिप्रेशन से ग्रस्त लोगों का कॉउंसलिंग के माध्यम से इलाज कर उन स्वस्थ कर चुकी है। उन्होंने बंगलौर में स्थित बैपस्ट अस्पताल ,मनीपाल अस्पताल और मिजोरम एवं सिक्किम सरकार के स्वास्थ्य विभाग में बहुत से लोगों का उपचार किया है। इसके साथ साथ मैथिली शेखर ने विदेशों में भी अपनी सेवाएं दी हैं।
नाहन में अस्पताल में कार्येरत होते ही मनोविज्ञानिक मैथिली शेखर ने नाहन पुलिस लाइन में एस ० पी ० के दिशा निर्देशन में पुलिस विभाग के कर्मचारिओं को तनाव मुक्त रहने के विषय पर जानकारी भी दी।

मनोविज्ञानिक मैथिली शेखर ने बताया की आज हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में डिप्रेशन या तनाव से ग्रस्त है यही तनाव आगे बढ़ कर व्यक्ति को गलत दिशा में ले जाता है। तनाव या डिप्रेशन के लक्षणों की बात करें तो व्यक्ति में यह लक्षण देखे जाते है जैसे नींद का कम आना या ज्यादा आना , खाना कम या जयादा खाना , वजन कम होना , किसी काम में मन न लगना , बेवजह रोते रहना , अकेलापन महसूस करना, समझ से दूर रहना , चिड़चिड़ापन रहना , मन में आत्महत्या के विचार आना। उन्होंने बताया की यदि हम अपने परिवार में किसी भी व्यक्ति में डिप्रेशन के लक्षण देखते है तो बिना देर किये उसे समझने की कोशिश करे और उनसे बात कर उनकी समस्या जाने। आप अस्पताल में मनोचिकित्सा विभाग में हम से मिल सकते है।